By telling us your country of residence we are able to provide you with the most relevant travel insurance information.
Please note that not all content is translated or available to residents of all countries. Contact us for full details.
Shares
"सफर" यह एक ऐसा शब्द है जो अपने आप में बहुत विशाल है। सफर एक ऐसी रोमांचकारी धुन है जो इन्सानों में ऐसे सवार रहती है जैसे शरीर में प्राण। और यह प्राण प्राणियों को उनके होने और उनके अस्तित्व को जिंदा रखने के लिये बेहद आवश्यक है। जिंदगी में सदैव बस 'सफर' ही रहता है या 'सफर' में जिंदगी। जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर, बचपन से लेकर जवानी तक का सफर फिर जवानी से लेकर बुढ़ापे तक बस 'सफर' ही करना पड़ता है। ये जीवन पूरा सफरमयी जीवन है और हम 'सफर' में ही है। जब बचपन में होते है तो बस एक ही बात सोचते है कि 'कब बड़े होगे' और यकीनन यहीं से शुरु होता है बचपन से जवानी तक का 'सफर' जब हम अपने से बड़े को कुछ अपना पसंदीदा कार्य करते देखते है मुहँ से अनायास बस एक ही शब्द निकलता है "काश" हम भी बड़े होते तो हम भी यहीं करते, हम 'कब बड़े होगे' यह शब्द दोहराते-दोहराते हम कब बड़े भी हो जाते है पता ही नहीं चलता क्योंकि हम 'सफर' में थे। जैसे ही बड़े होते है कंधों पर जिम्मेदारियों के बोझे लाद दिये जाते है और पता ही नहीं चलता कब उम्र के आखिरी पड़ाव पर आ गये। क्योंकि एक अच्छी जिंदगी के लिये हम पढ़ाई करते है फिर पढ़ाई के पश्चात अपने लक्ष्य तक का 'सफर' तय करते है फिर पारिवारिक जीवन में प्रवेश कर उलझते चले जाते है जीवन की गाड़ी कब बचपन को पार कर जवानी और फिर बुढ़ापे के स्टेशन पर लाकर खड़ी कर देती है जरा भी पता नहीं चल पाता क्योंकि हम तो 'सफर' में ही रहते है। जिंदगी का सफर बिल्कुल ट्रेन के सफर की तरह ही है जैसे हम सिर्फ टिकट लेकर चढ़ते है और फिर सफर कर अपनी मंजिल में उतर जाते है वैसे ही जिंदगी के सफर में भी मंजिल की तलाश में सिर्फ हम जीवन भर सफर ही करते रह जाते है। बस यहीं है 'जीवन-ए-सफर' की दास्ताँ की बस 'सफर' में ही हूँ मैं और समस्त प्राणी जगत । जीवन का 'सफर' बस 'सफर' से ही शुरू होकर 'सफर' में ही समाप्त हो जाता हैं। -©शिवांकित तिवारी 'शिवा'